निःशक्तता जीवन के प्रति आपके नजरिये को भी बदलती है

विकलांगता को लेकर लोगों का नजरिया भी बदलने की जरूरत है। भारतीय समाज
विकलांगों के प्रति बड़ा कठोर है. लंगड़ा, बहरा, अंधा, पगला – ये सभी शब्द व्यक्ति की स्थिति कम उसके प्रति उपेक्षा ज्यादा दर्शाते
हैं। विकलांगता का शिकार कोई भी हो सकता
है इसलिए इन्हें घृणा का पात्र न मानें बल्कि स्नेह दें।
विकलांगों के लिए अलग से स्कूल खोले जाने चाहिए और इन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण
भी दिया जाना चाहिए। सरकारों को विकलांगो
की शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही रोजगार में दृष्टिहीनता,
श्रवण विकलांग और प्रमस्तिष्क अंगघात से ग्रस्त
विकलांगों की प्रत्येक श्रेणी के लिए तीन फीसदी आरक्षण करना होगा। उच्चतम न्यायलय
ने सभी राज्यों को यह आदेश दिया है कि वह सभी रोजगारों में तीन फीसदी की
हिस्सेदारी विकलांगो के लिए करनी ही होगी।
साथ ही सामाजिक स्तर पर विकलांग व्यक्तियों के साथ परिवहन सुविधाओं,
सड़क पर यातायात के संकेतों या निर्मित वातावरण
में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
निःशक्तता जीवन के प्रति आपके नजरिये को भी बदलती है और आप उच्च प्रयोजन के
साथ जीवन को एक अलग परिपेक्ष में देखने लगते है। एक नागरिक होने के नाते यह हम सभी
की जिम्मेदारी है कि हम विकलांगों की जरूरतों को समझें, उनकी बाधाओं (शारीरिक और मानसिक) जो कि उन्हें आम जीवन जीने
से रोकती है, को दूर करने का प्रयास
करें।
Dharmendra Kumar,
President & Founder
People First Foundation
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